याद होगा आपको
घर छोड़ते वक्त
आपकी देहरी में ठोकर खाकर
गिरने लगी थी जब मैं
तो न जाने
विदाई-गीत गाती
औरतों के उस हुजूम को चीरते
आपके हाथ
मुझ तक कैसे पहुँचे थे बाबा!
हाँ बाबा,
वे आपके ही हाथ थे
कौन बेटी नहीं पहचान सकती
बाप के हाथ?
मैंने पहचान लिए थे आपके वे हाथ
जो घर को ढहने से बचाने की मशक्कत में
इतने अशक्त हो गए थे
कि कांपते-कांपते
पहुंच पाए थे मुझ तक।
लेकिन ऊपर का ऊपर
सम्भाल लिया था
उन अशक्त हाथों ने मुझे।
आपके हाथों के कम्पन का स्पर्श
मेरे बाजुओं के रास्ते
मेरे कलेजे में पहुंचकर
आपकी लड़खड़ाती सूखी काया का बिम्ब
अभी भी बना रहा है बाबा!
शायद नहीं सोचा होगा आपने
कि आपकी देहरी पर
क्यों लगी थी ठोकर मुझे?
मैं अंधी थी बाबा!
बिल्कुल अंधी।
जब मैं विदाई के लिए तैयार की जा रही थी
मेरी ऑंखें
मेरे तन से जुदा होकर
आपके पथराए चेहरे से चिपक गई थीं बाबा!
फुरसत मिले तो
मेरी ऑंखें जल्द लौटाना बाबा!
यहाँ जब-जब मुझे
ठोकर लगती है,
मेरी सास डांटती है-
‘देखकर नहीं चलती
अंधी है क्या?’
(कविता का हिन्दी अनुवाद तथा अन्य जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सत्यनारायण सोनी का आभार, उनका ब्लाग http://satyanarayansoni.blogspot.com/)
-: This Poem In English :-
Ramswroop Kisan
I agree - am happyThe letter I
Am writing an important work.
Will remember you
Leaving home now
You stumble in Dehri
Collapse when I
So do not go
Farewell - sing song
Women to the Hujum Chirte
Your hands
Baba reached to me how!
Yes Baba,
They were your own hands
Who daughter can recognize
Father's hand?
I had to identify the hands you
The house collapsed in the struggle to save
Were so frail
The trembling - trembling
Could reach to me.
But on top of
Care was taken
Those frail hands me.
Vibration of your hands touch
My muscles via
My liver reached
Dry your body's Ldkdhati Bimb
Sage is still made!
You might not have thought
On your Dehri
Why I got offense?
I was blind sage!
Absolutely blind.
When I was being prepared for departure
My eyes
After separating from my body
Were stuck to your face Pthraa Baba!
Free met
Baba my eyes to return soon!
Here when - when I
Seems to stumble,
My mother scolds - the
'Does not see
What is blind? "